शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

swami vivekananda

एक      लड़का      जो    जन्म   लेता         है 
और  अपने   को  एक     संकरी   गली  में   पाता  है 
वह   एक  कदम     आगे   बढ़ता   है 
और ह्रदय    से  सोचना   शरू कर   देता     है 
उन    चीजो    के  बारे     में   जो उसके    आस  पास   
घटित    होती है  
लोग    जो 
बलहीन, आदर्श हीन    ,कर्महीन  
हो चुके है  
वो इंतजार    शुरू     करता  है 
की कोई बोले   
वो सुबह    उठता    है  और इंतजार   करता है 
शाम   ढलने   का 
लोग लेटे रहते   है  सारा   सारा  दिन     
और एक दिन वो  बोलना  शुरू  कर देता है 
खुद ही 
और लोग सुनना शुरू  कर देतेहै 
उसने छोड़   दिया  खुद को दूसरो  में समाहित  होने के लिये   
वो आपके  लिये 
अलग  भाषा    ग़ ढता        है  
जो स्वीकार्य   हो सबके लिए 
वो घूमता        है देर     सवेर      
देश  भर  में नंगे    पैर   बेलौस   ,  बेख़ौफ़   
ह्रदय हीन  ,बलहीन ,ज्ञानी - अज्ञानी  दुर्बलो    के    बीच       
वो  जागता    है   देर    रात  तक   समाधी   में आपके     
आदर्श   के  लिए    
सुन्य     में  विलीन     होने   को  अपनी अनंत      इच्छा    को 
छोड़कर       
वो  लड़ता    है आपके  लिए , दौड़ता     है  आपके लिए लगातार  पूर्व  से   पछिम     
वो  सोया  है                                                                                           कई  कई     रात      ठंडी     बर्फीली    हवाओ   में जहा जो  के डेक          पर                                                              
  निर्जन  वन   में 
खूंखार   जंगली     शेरो के  बीच  में  
वो देखो     वो भारी  प्लेग    के  बीच  आपके      नगर    में  दौड़  रहा है 
नंगे  पैर      
तीमारदारी    के लिए 
वो तुम्हे     एक   आदर्श     देता  है 
वो तुम्हे   अनंतता     की ओर  जाते      देखना चाह ता  है 
उसका ह्रदय      दुखी      है  
हमारे   असम्मत      आ  ड  म्पूर्ण     कटोरे   को लबालब   भरा देखकर   
हम जो  न ख ही न,  दंतहीन     बन   चुके  थे  
ओर एक  साथ      
एक अधिक   पक्न्ति     में साथ  चल  रहे थे 
झुककर             
चुनना   ही होगा    हमें   विभिनता    के नए       नए       पथ  क्योकी    एक  मार्ग में    मरत्यु      अधिक परिणाम में मौजद है 
ऐसा उसने कहा था .              



               

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